Saturday, December 2, 2023
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भगवान गणेश Lord Ganesha ही सबसे पहले क्यों पूजे जाते हैं ?

श्री गणेशाय नमः, यानि भगवान गणेश का नाम लेकर किसी भी शुभ काम को शुरू करना।  ऐसा हम सुनते भी आ रहे हैं और करते भी आ रहे हैं।  कोई भी शुभ कार्य करना हो तो उसे श्रीगणेश करना कहा जाता है।  कोई भी शुभ कार्य करने का विचार भर आ जाए तो जुबां पर भगवान गणेश का नाम आ ही जाता है।  भारत में कई ऐसे नियम हैं जो बिना किसी प्रश्न के सदियों से चलन में हैं।  लेकिन हर नियम के पीछे की कुछ दंत कथाएं तो कुछ पौराणिक कथाएं हैं।

क्या आप जानते हैं कि कोई भी छोटी बड़ी पूजा या अनुष्ठान हो सबसे पहले भगवान गणेश की ही पूजा क्यों की जाती है ?  क्यों भगवान गणेश की पूजा करने के बाद ही किसी दूसरे देवता की पूजा की जाती है।  चलिए आज हम आपको बताते हैं कि ऐसा क्यों है।  कुछ लोग इसे रिवाज मानकर ऐसा करते चले आ रहे हैं, लेकिन इसके पीछे एक पौराणिक कथा है जो देवताओं से संबंधित है।

एक प्रतियोगिता के तहत तय की गई थी भगवान गणेश की सर्वप्रथम पूजा

कई पौराणिक कथाओं में देवताओं का लोभी होना भी बताया गया है।  एक बार सभी देवता इसी लोभ में पड़े कि उनकी महत्ता अन्य देवताओं से अधिक हो।  सभी देवताओं के मन में विचार आया कि ऐसा तभी हो सकता था जब उनकी पूजा सबसे पहले की जाए।  सभी देवताओं को खुद को सर्वश्रेष्ठ मानते हुए देख नारद मुनि ने उन्हें सलाह दी कि इसका हल केवल भगवान शिव के पास ही है इसलिए सभी उनके पास जाएं।

सभी देवताओं को नारद मुनि की सलाह अच्छी लगी और वो भगवान शिव के पास गए और उनसे अपना विचार बताया।   भगवान शिव ने देवताओं के बीच पनप चुके इस झगड़े को हल करने की एक योजना बनाई।  इस योजना के तहत भगवान शिव ने  एक प्रतियोगिता का आयोजन कराया।

इस प्रतियोगिता को जीतने के लिए ये शर्त रखी गई कि सभी देवतागण अपने अपने वाहनों पर सवार होकर पूरे ब्रह्माण्ड की सात परिक्रमा सबसे पहले करेंगे उसे विजयी माना जाएगा।  इस प्रतियोगिता के जीतने के बाद से उसी देवता की पूजा सबसे पहले की जाएगी।

भगवान गणेश ने अनूठे तरीके से जीती थी प्रतियोगिता       

 इस प्रतियोगिता में सभी देवताओं के साथ भगवान गणेश ने भी हिस्सा लिया था।  लेकिन वो  ब्रह्माण्ड की परिक्रमा ना कर अपने पिता शिव और माता पार्वती की सात परिक्रमा कर उनके सामने प्रणाम की मुद्रा में खड़े हो गए।  उधर जब सभी देवतागण पूरे ब्रह्माण्ड की सात परिक्रमा कर लौटे तब भगवान शिव ने भगवान गणेश को विजयी घोषित कर दिया।

भगवान शिव के इस फैसले से देवता संतुष्ट नहीं हुए तब शिव ने उन्हें तर्क दिया कि माता-पिता को पूरे ब्रह्माण्ड और समस्त लोक में सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया गया है।  माता पिता का देवी-देवताओं और सारी सृष्टि से भी ऊंचा स्थान माना गया है।  ऐसे में गणेश ने अपने माता-पिता की परिक्रमा कर पूरे ब्रह्माण्ड की परिक्रमा पूरी कर ली है, इसलिए उन्हें विजयी माना गया है और आज ने सभी देवताओं से पहले श्रीगणेश की पूजा जाएगी।

भगवान शिव के इस तर्क से सभी देवता सहमत हुए और उन्होंने शिव के इस निर्णय को मान लिया।  तभी से लेकर आजतक भगवान गणेश की पूजा पहले की जाती है।  साथ ही किसी भी शुभ कार्य में लोगों के मन से ‘श्रीगणेशाय नमः’ ही निकलता है।

भगवान गणेश से पहले किसकी की जाती थी सर्वप्रथम पूजा ?

भगवान गणेश को सर्वप्रथम पूज्यनीय बनने के बारे में जानने के बाद एक सवाल जरूर सामने उभर कर आया होगा।  वो यह कि जब एक प्रतियोगिता के द्वारा श्रीगणेश को सर्वश्रेष्ठ माना गया और उनको प्रथम पूज्यनीय का स्थान प्राप्त हुआ तो इस प्रतियोगिता से पहले किस भगवान की पूजा पहले की जाती थी।

हिन्दू धर्म की मानें तो ब्रह्म (ईश्वर) को ही सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।  इंसान तो क्या सभी देवी देवता उन्हीं की पूजा करते हैं।  ईश्वर के बाद ही देवताओं का पूज्यनीय स्थान है।  देवताओं में सबसे पहले भगवान शिव (भगवान गणेश की प्रतियोगिता में जीत से पहले) की पूजा की जाती थी।

लेकिन जहां तक हिन्दू धर्म की बात आती है इसमें पंचदेवों की पूजा प्रचलन चलता आ रहा है।  जिसमें सबसे पहले भगवान सूर्य की पूजा करने का प्रचलन रहा है।  उसके बाद क्रमशः भगवान गणेश, मां दुर्गा, भगवान शंकर और भगवान विष्णु की पूजा का प्रचलन रहा है।

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