Friday, December 1, 2023
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यूजीसी का एलान- अब दो डिग्री एक साथ कर सकेंगे छात्र, जानिए क्या है खासियत?

स्टोरी हाइलाइट्स

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने कीघोषणा

अब एक साथ दो डिग्री ले सकेंगे छात्र

नई दिल्लीः विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने मंगलवार को घोषणा की है कि, अब छात्र दो फुल टाइम डिग्री कार्यक्रमों में एक साथ दाखिला ले सकेंगे. UGC और अन्य उच्च शिक्षा नियामकों की ओर से दोनों पाठ्यक्रमों को एक समान मान्यता दी जाएगी. UGC के अनुसार यह बदलाव नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 के अनुरूप है. नई शिक्षा नीति में छात्रों अपनी इच्छानुसार पढ़ने के लिए अधिकतम आजादी देने की बात कही गई है. यह कदम उसी की दिशा में पहल है.

UGC का आदेश डिग्री और संस्थान चुनने के लिए छात्र स्वतंत्र

यूजीसी ने कहा कि योजना लेक्चर बेस्ड पाठ्यक्रमों के लिए लागू होगी. सभी विश्वविद्यालय अपने स्तर पर ऐसी पहल शुरू कर सकते हैं. उन्हें इस बारे में यूजीसी और अन्य नियामकों को सिर्फ सूचित करना होगा. विद्यार्थी भी अपने स्तर पर डिग्री और संस्थान को चुनने के लिए स्वतंत्र होंगे. इससे पढ़ाई के दौरान फलेक्सिबिलिटी बढ़ेगी. इस संबंध में जल्द ही यूजीसी की ओर से जल्द विस्तृत अधिसूचना और नियमावली जारी करेगा. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने  इसके संबंध में दिशा-निर्देशों का एक सेट तैयार किया है, जिसे बुधवार, 13 अप्रैल को यूजीसी की आधिकारिक वेबसाइट पर जारी कर दिया जाएगा.

एक साथ दो फुल टाइम डिग्रीः UGC

इससे पहले, यूजीसी के नियमों ने छात्रों को दो फुल टाइम कार्यक्रमों को एक साथ करने की अनुमति नहीं दी थी. पहले सिर्फ वे केवल ऑनलाइन/ पार्ट टाइम या फिर डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के साथ ही एक फुल टाइम डिग्री प्राप्त कर सकते थे. लेकिन अब दो फुल टाइम डिग्री कार्यक्रम जैसे बीए या बीएससी और बीकॉम, एमकॉम, एमएससी और एमबीए आदि साथ कर सकते हैं. इसके अलावा आईआईटी का छात्र भी कुछ और डिप्लोमा या हिस्ट्री से जुड़ा कोर्स, या डेटा सांइस आदि डिप्लोमा भी साथ कर सकता है.

एमफिल और पीएचडी में बदलाव नहीं

हालांकि इस नए योजना को में यूजीसी  नई गाइडलाइन के अनुसार, छात्र विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला, मानविकी और विभिन्न प्रकार के विषयों जैसे डोमेन में दो डिग्री कार्यक्रमों करने में सक्षम होंगे. इन दिशा-निर्देशों को अपनाना विश्वविद्यालयों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था है और विश्वविद्यालयों के वैधानिक निकायों के अनुमोदन के बाद ही इसे लागू किया जा सकता है. प्रत्येक कार्यक्रम के लिए पात्रता मानदंड यथावत रहेंगे और प्रवेश मौजूदा यूजीसी, विश्वविद्यालय के मानदंडों के आधार पर आयोजित किया जाएगा. UGC के अनुसार एमफिल और पीएचडी कार्यक्रम भले दोनों परास्नातक कार्यक्रम हैं लेकिन यह दोनों एक ही योजना के तहत नहीं आएंगे.

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