नई दिल्लीः राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सियासी मौहाल गर्म है. द्रौपदी मुर्मू और यशवंत सिन्हा राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार है. जिनके लिए समर्थन जुटाने को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष पूरी तरह प्रयासरत है. हालांकि इस बीच विपक्ष के दलों में चीजे ठीक नजर आती नहीं दिख रही है. विपक्ष के कई दलों ने एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने पर महर लगा दिया.
जिसमें अब समाजवादी पार्टी से अलग हो चुके अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) का नाम भी शामिल हो चुका है. हालांकि 2022 विधानसभा चुनाव में उन्होंने समाजवादी पार्टा के साथ गठबंधन में ही चुनाव लड़ा था. ऐसे शिवपाल यादव का ये फैसला चौकाने वाला है.
शिवपाल यादव ने कहा
वहीं इसको लेकर शनिवार को प्रसपा के अध्यक्ष शिवपाल सिंह ने कहा कि, मैंने बहुत पहले कहा था जहां हमें बुलाया जाएगा, जो हमसे वोट मांगेगा हम उसे वोट देंगे. इससे पहले भी राष्ट्रपति के चुनाव हुए थे तो न तो हमें समाजवादी पार्टी ने बुलाया और न ही वोट मांगा. उस समय रामनाथ कोविंद जी ने वोट मांगा तो हमने दिया.
हमें समाजवादी पार्टी की तरफ कभी भी किसी मीटिंग में नहीं बुलाया गया, परसों भी यशवंत सिन्हा यहां थे लेकिन नहीं बुलाया गया. राजनैतिक अपरिपक्वता की कमी होने के कारण ये सब होता चला जा रहा है और पार्टी कमजोर हो रही है, लोग पार्टी छोड़ रहे हैं.
आज सपा की स्थिति कुछ और होती
उन्होंने आगे कहा कि जब मैंने समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ा और जीता तो हमसे भी राय लेनी चाहिए. अगर मेरा सुझाव माना गया होता और उन 100 प्रत्याशियों को टिकट दिया गया होता जिनका सुझाव हमने एक साल पहले दिया था तो आज समाजवादी पार्टी की स्थिति कुछ और होती.
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