एक पुरानी कहावत है, डूबते को तिनके का सहारा। बाढ़ (MP Flood) के परिपेक्ष्य में यह कहावत जुबां पर चली ही आती है। मध्य प्रदेश में बाढ़ के दौरान तरह तरह की तस्वीरें सामने आ रही हैं। ऐसे ही विदिशा से एक तस्वीर सामने आई है। जिसे देखकर लोगों ने कहा कि जान बची तो लाखों पाए।
MP Flood में पेड़ बना जीवन रक्षक
मध्य प्रदेश के विदिशा में (MP Flood) दो परिवार बाढ़ में फंस गए। जिनके लिए 16 फीट का लंबा पेड़ जीवन रक्षक बना। बाढ़ में फंसे दोनों परिवारों ने इस पेड़ पर पूरे 24 घंटे बिताए। इन दोनों परिवारों में एक गर्भवती महिला भी शामिल थी। इसी गर्भवती महिला की मदद के लिए दूसरा परिवार भी फंसा हुआ था। इन दोनों परिवारों का NDRF की टीम ने रविवार की सुबह रेस्क्यू किया।
कैथन नदी के उफान का दहशत
यहां कैथन नदी उफान पर है। जिसकी वजह से ग्रामीणों में दहशत है। इस नदी की वजह से विदिशा के सिरोंज के रनिया गांव में तबाही मची हुई है। बाढ़ के बाद जान बचाने के लिए लोगों ने पूरा गांव खाली कर दिया है। लेकिन बाढ़ का पानी इतनी तेजी से बढ़ा कि इन दोनों परिवारों को गांव से बाहर निकलने का मौका ही नहीं मिल पाया।
गर्भवती महिला की बची जान
पेड़ पर फंसे इन दोनों परिवारों में से एक गौरव की पत्नी लक्ष्मी गर्भवती है। बताया गया कि इसी की वजह से गौरव वक्त पर गांव नहीं छोड़ पाया। वहीं गौरव का छोटा भाई छोटू भी उनकी मदद के चक्कर में यहां फंस गया। इस गांव में वाटर लेबल कई फीट ऊंचा हो गया। जिसके बाद पानी में उतरकर गांव से सुरक्षित निकल पाना काफी मुश्किल भरा काम था।
बच्चों ने भी पेड़ पर काटे 24 घंटे
हालात अपने काबू में न देखते हुए गौरव ने पेड़ पर चढ़ना ही उचित समझा। फिर उसने अपने दोनों बेटों को पेड़ पर चढ़ा दिया। साथ ही अपने छोटे भाई की पत्नी और अपनी पत्नी को भी पेड़ पर चढ़ाया। इसके बाद सभी मदद की राह देखने लगे।
हिम्मत के साथ काटी रात
दोनों परिवारों ने पूरी हिम्मत के साथ पेड़ पर रात काटी। हालांकि वो दोनों तरफ से खतरे में ही थे। नीचे उफनती नदी और तेज चलती हवा के बीच दोनों परिवारों ने रात काटी। इस बारे में दीपनाखेड़ा पुलिस थाना प्रभारी ने बताया कि पुलिस की टीम सुबह से बाढ़ के पानी से लोगों को निकालने में लगी हुई थी। इसी बीच उनकी टीम को एक ही साथ छह लोगों के फंसे होने की जानकारी मिली। उसके बाद हमने सभी का रेस्क्यू कर लिया।