नई दिल्लीः कांग्रेस नेता राहुल गांधी आज प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी के सामने पेश हुए. इस दौरान उनसे National Herald Case मामले में करीब तीन घंटे पूछताछ हुई. वहीं कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से 23 जून को पेश होने के लिए कहा गया है. जो अभी कोरोना संक्रमित हैं और अस्पताल में भर्ती हैं. National Herald Case में राहुल गांधी से पूछताछ को लेकर देशभर के कांग्रेस समर्थक सड़को पर उतर आए. और उन्होंने विरोध प्रदर्शन किया. लेकिन क्या है ये नेशनल हेराल्ड का मामला? जिसको लेकर इतना बवाल मचा हुआ है. इसके अलावा क्या वाकई इस मामले राहुल गांधी और सोनिया गांधी को जेल हो सकती है. आइए जानते है.
पहले आपको बताते है National Herald Case के बारे में?
देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने 20 नवंबर 1937 को एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड यानी AJL का गठन किया था. इसका उद्देश्य अलग-अलग भाषाओं में समाचार पत्रों को प्रकाशित करना था. तब AJL के अंतर्गत अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड, हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज समाचार पत्र प्रकाशित होते थे.
भले ही AJL के गठन में पं. जवाहर लाल नेहरू की भूमिका थी, लेकिन इस पर कभी भी उनका मालिकाना हक नहीं रहा. क्योंकि, इस कंपनी को 5000 स्वतंत्रता सेनानी सपोर्ट कर रहे थे और वो इसके शेयर होल्डर भी थे. 90 के दशक में ये अखबार घाटे में आने लगे. साल 2008 तक AJL पर 90 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज चढ़ गया. तब AJL ने फैसला किया कि अब समाचार पत्रों का प्रकाशन नहीं किया जाएगा. अखबारों का प्रकाशन बंद करने के बाद AJL प्रॉपर्टी बिजनेस में उतर गई.
यहां से शुरू हुआ National Herald Case में विवाद
साल 2010 में AJL के 1057 शेयर होल्डर थे. घाटा होने पर इसकी होल्डिंग यंग इंडिया लिमिटेड यानी YIL को ट्रांसफर कर दी गई. यंग इंडिया लिमिटेड की स्थापना उसी वर्ष यानी 2010 में हुई थी. इसमें तत्कालीन कांग्रेस पार्टी के महासचिव राहुल गांधी डायरेक्टर के रूप में शामिल हुए. कंपनी में 76 प्रतिशत हिस्सेदारी राहुल गांधी और उनकी मां सोनिया गांधी के पास रखी गई. शेष 24 फीसदी कांग्रेस नेताओं मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस के पास थी.
शेयर ट्रांसफर होते ही AJL के शेयर होल्डर्स सामने आ गए. पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण, इलाहाबाद व मद्रास उच्च न्यायालयों के पूर्व मुख्य न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू सहित कई शेयरधारकों ने आरोप लगाया कि जब YIL ने AJL का ‘अधिग्रहण’ किया था तब उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया गया था. यही नहीं, शेयर ट्रांसफर करने से पहले शेयर होल्डर्स से सहमति भी नहीं ली गई. बता दें कि शांति भूषण और मार्कंडेय काटजू के पिता के नाम पर AJL में शेयर था.
इसके बाद शुरू हुआ असली खेल
साल 2012 में भाजपा के नेता और देश के नामी वकील सुब्रमण्यम स्वामी ने नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीस, पत्रकार सुमन दुबे और टेक्नोक्रेट सैम पित्रोदा के खिलाफ मामला दर्ज कराया. तब केंद्र में कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार थी.
सुब्रमण्यम स्वामी का दावा था कि YIL ने 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति और लाभ हासिल करने के लिए “गलत” तरीके से निष्क्रिय प्रिंट मीडिया आउटलेट की संपत्ति को “अधिग्रहित” किया. YIL ने 90.25 करोड़ रुपये की वसूली के अधिकार हासिल करने के लिए सिर्फ 50 लाख रुपये का भुगतान किया था, जो AJL पर कांग्रेस पार्टी का बकाया था. यह राशि पहले अखबार शुरू करने के लिए कर्ज के रूप में दी गई थी. AJL को दिया गया कर्ज “अवैध” था, क्योंकि यह पार्टी के फंड से लिया गया था.
भाजपा की सरकार बनने पर शुरू हुई ईडी की जांच
इसके बाद साल 2014 में जब केंद्र में भाजपा की सरकार आई तो मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने शुरू की. मामले में सोनिया और राहुल गांधी पर कार्रवाई की तलवार लटकने लगी थी. ऐसे में दोनों कोर्ट पहुंच गए. 19 दिसंबर, 2015 को निचली अदालत ने इस मामले में दोनों को जमानत दे दी थी. 2016 में, सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ कार्यवाही रद्द करने से इनकार करते हुए मामले के सभी पांच आरोपियों (सोनिया, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीस और सुमन दुबे) को व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी थी.
केंद्र सरकार ने की कार्रवाई
साल 2018 में, केंद्र सरकार ने 56 साल पुराने स्थायी पट्टे को समाप्त करने का फैसला लिया. साथ ही हेराल्ड हाउस परिसर से एजेएल को इस आधार पर बेदखल करने का फैसला किया कि एजेएल कोई प्रिटिंग या पब्लिकेशन गतिविधि नहीं कर रहा था. जबकि इसी काम के लिए बिल्डिंग को 1962 में आवंटित किया गया था. हालांकि, पांच अप्रैल 2019 को, सुप्रीम कोर्ट ने अगली सूचना तक सार्वजनिक परिसर अधिनियम, 1971 के तहत एजेएल के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगाने का आदेश दे दिया. अब इसी मामले में ईडी ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी को पूछताछ के लिए तलब किया है.