देश की आर्थिक राजधानी कही जाने वाली मुंबई (Mumbai) कभी अंडरवर्ल्ड के लिए जानी जाती थी। मुंबई में अंडरवर्ल्ड (Mumbai Underworld) का बोलबाला था। 70 के दशक में अंडरवर्ल्ड हाजी मस्तान, वर्दराजन मुदालियार और करीम लाला का बोलबाला था। जिनके एक इशारे पर मुंबई कांपने लगती थी। इनका नाम सुनते ही लोगों की रूह कांप उठती थी। जानते हैं आज कि आखिर मुंबई में अंडरवर्ल्ड का कैसे उदय हुआ।
ऐसे हुआ Mumbai Underworld का जन्म
देश आजाद होने के बाद 1950 में मुंबई में शराब की बिक्री पर रोक लगा दी गई थी। लेकिन पूरे मुंबई में शराब को भूमिगत तरीके से पहुंचाया जा रहा था। यहीं से अंडरवर्ल्ड की दस्तक शुरू होती है। मुंबई में कई छोटे-छोटे शराब माफियाओं ने जगह-जगह शराब बेचना शुरू कर दी थी। जिसमें पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध मानी जाती थी। क्योंकि यह सब पुलिस (Mumbai Police) की सहमति के बिना संभव नहीं था। जब धंधे का विस्तार होने लगा तो गैंगबाजी शुरू हो गई।
70 के दशक में तस्करी के अलावा अवैध वसूली और अपहरण भी गैंग्स का नया धंधा बन गया। यहीं से सामने आया हाजी मस्तान, करीम लाला, वरदराजन मुदलियार और युसुफ पटेल का नाम। इन्हें मुंबई अंडरवर्ल्ड जनक भी कहा जाता है।
साथी को मरवाने के लिए हाजी मस्तान ने दी थी सुपारी
अंडरवर्ल्ड डॉन हाजी मस्तानी मूल रूप से तमिल का रहने वाला था। हाजी की जिंदगी को कई किरदारों ने पर्दे पर भी उतारा है। वह 1955 में तमिलनाडु से मुंबई आकर रहने लगा था। कई जानकार बताते हैं कि हाजी मस्तानी ने पहली सुपारी साल 1969 में 10 हज़ार रुपये पर कभी अपने साथ काम कर चुके यूसुफ़ पटेल के लिए दी थी। ये काम करीम लाला के पश्तून मूल के दो गुर्गों को सौंपा गया था। उन्होंने पटेल पर हमला करने के लिए मिनारा मस्जिद के पास की जगह चुनी। कुछ दिनों बाद तस्करी के एक मामले में हाजी को जेल भी जाना पड़ा था। 1994 में दिल के दौरे की वजह से मुंबई में उसकी मौत हो गई थी।
गैंग का जनक था करीम लाला
करीम लाला (Karim Lala) अफगान नागरिक था। जो वर्ष 1940 में मुंबई आय़ा था। करीम लाला को मुंबई का असली डॉन कहा जाता है। मुंबई में करीम लाला ने ही सबसे पहले गुंडो की एक गैंग बनाई थी। लेकिन करीम लाला के बेटों की मौत के बाद उसने यह धंधा छोड़ दिया और शांति की जिंदगी जीने लगा। 2002 में उसकी मौत हो गई।
खुद की अदालत लगाता था वर्दराजन मुदलियार
वर्दराजन मुदलियार (Varadarajan Mudaliar) तमिलनाडु से विस्थापित हुआ था। वह 1960 में विक्टोरिया टर्मिनस पर कुली का काम करता था। 1980 में उसने एक अदालत लगानी शुरू कर दी। जिसमें धारावी और और माटुंगा के बीच के विवादों की सुनवाई करता था। 1980 के मध्य तक मुंबई पुलिस उसके पीछे पड़ गई। फिर उसे जान बचाने के लिए तमिलनाडु भागना पड़ा था। 1988 में वहीं उसकी मौत हो गई थी।
फ्लोर स्पेस इंडेक्स घोटाले में शामिल था यूसुफ पटेल !
मुंबई के चर्चित फ्लोर स्पेस इंडेक्स घोटाले के पीछे पटेल (Yusuf Patel) का हाथ माना जाता है। पटेल ने 80 के दशक में अपनी कंस्ट्रक्शन कंपनी शुरू की थी। पटेल ने अपने कारोबार की शुरूआत हाजी मस्तान के साथ शुरू की थी। अंडरवर्ल्ड की दुनिया में छोटा शकील और इकबाल मिर्ची का भी नाम खूब चर्चा में रहा है। लेकिन यह ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाए।
मुंबई में नए-नए अंडरवर्ल्ड (Mumbai Underworld) जन्म लेते गए। जिनमें राजन नायर उर्फ बड़ा राजन आय़ा और छोटा राजन आया। छोटा राजन के कारनामों से दाऊद (Dawood Ibrahim) काफी प्रभावित था। इसीलिए दाऊद ने छोटा राजन को अपनी गैंग का हिस्सा बना लिया था। इसी तरह दाऊद इब्राहिम और छोटा राजन (Chota Rajan) की दोस्ती का बोलवाला पूरी मुंबई में बोलने लगा। दाऊद इब्राहिम से हर कोई डरने लगा। 12 मार्च 1993 को मुंबई में 12 जगहों पर बम धमाके हुए। जिसके बाद दाऊद इब्राहिम औऱ छोटा राजन बिखर गए और दोनों देश छोड़कर भाग गए।