आज पूरे देश में कृष्ण जन्माष्टमी धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस पर्व को कई नामों से जाना जाता है। इसे कृष्ण जन्माष्टमी, जन्माष्टमी, गोकुलाष्टमी या कृष्णाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है
स्टोरी हाईलाइट्स
पूरे देश में krishna janmashtami की धूम
भगवान कृष्ण का होता है जन्मोत्सव
वैदिक काल के मुताबिक होती है पूजा
आज पूरे देश में krishna janmashtami कृष्ण जन्माष्टमी धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस पर्व को कई नामों से जाना जाता है। इसे कृष्ण जन्माष्टमी, जन्माष्टमी, गोकुलाष्टमी या कृष्णाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। यह एक वार्षिक हिंदू त्योहार है जो भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान कृष्ण की जयंती होती है। महाराष्ट्र में जन्माष्टमी के अगले दिन लोग दही-हांडी का त्योहार मनाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म आधी रात को हुआ था। कृष्ण जन्माष्टी के पूजा मुहूर्त और उसके महत्व के बारे में हम इस लेख में बताएंगे।
krishna janmashtami की पूजा का समय
निशिता पूजा का समय- 31 अगस्त 11:59 अपराह्न से 12:44 पूर्वाह्न
अष्टमी तिथि शुरू- 29 अगस्त 2021 को रात 11:25 बजे
अष्टमी तिथि समाप्त- 31 अगस्त 2021 को पूर्वाह्न 01:59
मध्य रात्रि क्षण- 31 अगस्त, 12:22 पूर्वाह्न
चंद्रोदय क्षण- 11:35 अपराह्न कृष्ण दशमी
रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ- 30 अगस्त 2021 को पूर्वाह्न 06:39
रोहिणी नक्षत्र समाप्त- 31 अगस्त 2021 को पूर्वाह्न 09:44
दही हांडी- 31 अगस्त
भारतीय शहरों में कृष्ण जन्माष्टमी मुहूर्त
12:12 पूर्वाह्न से 12:58 पूर्वाह्न 31 अगस्त- पुणे
11:59 अपराह्न से 12:44 पूर्वाह्न, 31 अगस्त- नई दिल्ली
11:46 अपराह्न से 12:33 पूर्वाह्न, 31 अगस्त- चेन्नई
12:05 पूर्वाह्न से 12:50 पूर्वाह्न, 31 अगस्त- जयपुर
11:54 अपराह्न से 12:40 पूर्वाह्न, 31 अगस्त- हैदराबाद
12:00 पूर्वाह्न से 12:45 पूर्वाह्न, 31 अगस्त- गुड़गांव
12:01 पूर्वाह्न से 12:46 पूर्वाह्न, 31 अगस्त- चंडीगढ़
11:14 अपराह्न से 12:00 अपराह्न- कोलकाता
12:16 पूर्वाह्न से 01:02 पूर्वाह्न, 31 अगस्त- मुंबई
11:57 अपराह्न से 12:43 पूर्वाह्न, 31 अगस्त- बेंगलुरू
12:18 पूर्वाह्न से 01:03 पूर्वाह्न, 31 अगस्त- अहमदाबाद
11:59 अपराह्न से 12:44 पूर्वाह्न, 31 अगस्त- नोएडा
कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व
कृष्ण जन्माष्टमी भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान कृष्ण की जयंती का प्रतीक है। krishna janmashtami के दिन भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण के भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं। उसके बाद अगले दिन जब रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि समाप्त हो जाती है। या फिर दोनों में से कोई एक तिथि समाप्त हो जाती है तब इस व्रत को तोड़ा जाता है। कृष्ण पूजा करने का सबसे उपयुक्त समय निशिता काल है जो वैदिक काल के अनुसार मध्यरात्रि है।