देश की सुरक्षा में हमेशा मुस्तैदी से तैयार रहने वाले भारतीय सेना (Indian Army) के जवान अपनी जान की परवाह किए बगैर देश सेवा में लगे रहते हैं। देश की सुरक्षा की खातिर उन्हें अपनी शहादत भी देनी पड़ जाए तो वह पीछे नहीं हटते और निडर होकर दुश्मनों का सामना करते हैं। 16 साल पहले बर्फ में दबकर शहीद हुए भारतीय सेना के जवान का शव बर्फ में दबा हुआ मिला है। 16 साल बाद जवान का पार्थिव शव आज उनके घर गाजियाबाद (Ghaziabad) लाया जाएगा। जवान के घर पर लोगों का जमावड़ा लगा हुआ है।
2005 में शहीद हुआ था Indian Army का जवान
आज से 16 साल पहले 23 सितंबर 2005 को आर्मी ऑर्डिनेंस कोर (Army Ordnance Corps) के पर्वतारोही नायक अमरीश त्यागी (Amrish Tyagi) अपने साथियों के साथ हिमालय की चोटी पर ध्वजारोहण कर वापस आ रहे थे। तभी वह हरशील की खाई में गिर गए थे। उनके साथ शहीद हुए अन्य तीन जवानों के शव मिल गए थे। लेकिन अमरीश त्यागी के शव के बारे में कुछ पता नहीं चल सका था। ठीक 16 साल बाद उसी तारीख में 23 सितंबर को बर्फ पिघलने से एक शव को देखा गया। कपड़े और कुछ पेपरों के आधार पर शव की पहचान अमरीश त्यागी निवासी मोदीनगर गाजियाबाद के रूप में हुई है।
शव गाजियाबाद के लिए रवाना
शहीद अमरीश के शव को उनके घर गाजियबाद के लिए रवाना कर दिया गया है। शहीद जवान (Indian Army) के घर वालों को जैसे ही ये खबर पता चली तो परिवार में हलचल पैदा हो गई। घर पर रिश्तेदारों का आना-जाना शुरू हो गया है। वहीं 16 साल बाद पार्थिव शव आने की खबर जैसे ही गाजियाबाद के लोगों को पता चली तो शहीद अमरीश के गांव में लोगों का जमावड़ा लग गया है।
परिवार ने अभी तक नहीं किया था श्राद्ध
अमरीश त्यागी को शहीद हुए 16 साल बीत चुके हैं। लेकिन परिवार को उम्मीद थी, इसलिए उन्होंने अमरीश का श्राद्ध तक नहीं किया। परिवार ने बताया कि बेशक सेना के लोग और रिश्तेदार कहते थे कि अमरीश अब नहीं है। लेकिन उन्हें उम्मीद थी कि वह जिंदा होगा और दुश्मन के चंगुल में फंस गया होगा। इसलिए उन्होंने पितृपक्ष में कभी श्राद्ध नहीं किया और ना ही मृत्यु के बाद संस्कार किया। वहीं शहीद अमरीश के माता-पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं। वह आखिरी दम तक अपने बेटे को याद करते हुए दुनिया को अलविदा कह गए।
हवाई जहाज से कूदने में महारथ हासिल थी
अमरीश त्यागी गाजियाबाद के मुरादनगर (Muradnagar) के एक गांव के रहने वाले थे। वह साल 1995-96 में मेरठ में सेना में भर्ती हुए थे। कई जगह तैनाती के बाद साल 1999 में कारगिल युद्ध (Kargil War) के दौरान उनकी तैनाती लद्दाख में हुई थी। अमरीश त्यागी को हवाई जहाज से सबसे ज्यादा ऊंचाई से कूदने के मामले में महारथ हासिल थी। इस मामले में उनका देश भर में नाम था।