Friday, December 1, 2023
Google search engine
होमराज्यउत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंडकाशी विश्वनाथ से सटी Gyanvapi Masjid का नहीं होगा सर्वेक्षण, इलाहाबाद HC...

काशी विश्वनाथ से सटी Gyanvapi Masjid का नहीं होगा सर्वेक्षण, इलाहाबाद HC ने लगाई रोक

स्टोरी हाईलाइट्स
मुस्लिम पक्षकारों को राहत
ज्ञानवापी मस्जिद सर्वेक्षण पर रोक
30 वर्ष पुराना है विवाद

इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) ने काशी विश्वनाथ से सटी ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है।  कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वेक्षण कराने वाले फैसले पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने दो हफ्ते में जबाव दाखिल करने को कहा है।  हाई कोर्ट के फैसले से मुस्लिम पक्ष को राहत मिली है।  वहीं अब इस मामले की अगली सुनवाई 8 नवंबर को होगी।

Gyanvapi Masjid के पक्षकारों ने जताई थी आपत्ति

8 अप्रैल 2021 को वाराणसी (Varanasi) के सीनियर डिवीजन सिविल जज ने वाद मित्र की याचिका पर सर्वेक्षण का आदेश दिया था।  एएसआई से खुदाई कराकर सर्वेक्षण के जरिए हकीकत का पता लगाने के लिए पांच सदस्यीय कमेटी बनाने को कहा गया था।

यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने लगाया आरोप

दरअसल, यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने आरोप लगाया था कि वाराणसी सिविल कोर्ट ने सर्वेक्षण का आदेश देकर पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 के आदेश का उल्लंघन किया है।  जिस पर मुस्लिम पक्षकारों ने असहमति जताते हुए वाराणसी सिविल कोर्ट के आदेश को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।  31 अगस्त को सुनवाई पूरी होने के बाद हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

क्या है विश्वनाथ मंदिर पक्ष की मांग?

काशी विश्वनाथ मंदिर (Shri Kashi Vishwanath Temple) और ज्ञानवापी मस्जिद एक दूसरे से सटी हुई हैं।  मंदिर पक्षकारों की मांग है कि 1664 में मुगल शासक औरंगजेब ने मंदिर को तोड़कर उसके अवशेषों पर ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण कराया था।  जिसकी सच्चाई जानने के लिए मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण कराना जरूरी है।  मंदिर पक्ष का दावा है कि मस्जिद परिसर की खुदाई के बाद मंदिर के अवशेषों पर तामीर मस्जिद के सबूत अवश्य मिलेंगें।

30 वर्ष से चल रहा है विवाद

ज्ञानवापी और विश्वनाथ मंदिर विवाद आज से नहीं बल्कि 30 साल से चल रहा है।  मंदिर पक्ष की ओर से साल 1991 में हिंदुओं को पूजा पाठ करने का अधिकार देने के संबंध में मुकदमा दायर किया गया था।  मामले में निचली अदालत ने फैसला भी सुना दिया था।  लेकिन निचली अदालत के फैसले के खिलाफ 1997 में इसे इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी।  जिस पर हाई कोर्ट ने स्टे लगा दिया था।

ये भी पढ़ें- BCCI T20 World Cup: कोहली की नाकामी के चलते टीम इंडिया में धोनी की वापसी!

जिसके बाद 10 दिसंबर 2019 में प्राचीन मूर्ति स्वयंभू लॉर्ड विश्वेश्वर के वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी ने सिविल जज सीनियर डिविजन (फास्ट ट्रैक कोर्ट) आशुतोष तिवारी की अदालत में आवेदन देकर अपील की थी कि ढांचास्थल के पुरातात्विक सर्वेक्षण के लिए निर्देशित किया जाए।

RELATED ARTICLES

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

- Advertisment -
Google search engine

ताजा खबर

Recent Comments