नई दिल्लीः मुंबई बमकांड 1993 के दोषी गैंगस्टर Abu Salem को लेकर सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है. उच्च न्यायलय ने सरकार से कहा है कि वह 25 साल की सजा पूरी होने पर इस बारे में फैसला करे. Abu Salem अब 2027 में रिहा नहीं हो सकेगा. 2030 में ही उसकी रिहाई हो सकेगी.
सरकार ले निर्णय
दरअसल Abu Salem ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी कि 2027 में उसकी 25 साल की सजा पूरी हो जाएगी, इसलिए उसे रिहा किया जाए. Abu Salem ने पुर्तगाल से प्रत्यपर्ण के वक्त किए गए वादों को पूरा करने की मांग करते हुए आजीवन कारावास की अवधि पूरी होने पर रिहाई की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उम्र कैद का फैसला देने वाली कोर्ट प्रत्यर्पण के समय सरकार की तरफ से दूसरे देश से किए गए वादे से बंधी नहीं है. पुर्तगाल में हिरासत के तीन साल इस सजा का हिस्सा नहीं हैं. शीर्ष कोर्ट ने कहा कि 2005 में प्रत्यर्पण हुआ है. 25 साल की सजा पूरी होने पर सरकार निर्णय ले.
केंद्र पुर्तगाल से किए वादे का सम्मान करने को बाध्य
सुप्रीम कोर्ट ने अबू सलेम की याचिका पर सोमवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि केंद्र पुर्तगाल से किए गए वादे का सम्मान करने और गैंगस्टर Abu Salem को 1993 के मुंबई विस्फोट मामले में उसकी 25 साल की सजा पूरी होने पर रिहा करने के लिए बाध्य है. जस्टिस एस के कौल और जस्टिस एम एम सुंदरेश की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि केंद्र सरकार संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत मिली शक्ति का प्रयोग और सजा पूरी होने पर इस बारे में राष्ट्रपति को सलाह देने के लिए बाध्य है.
2015 में सुनाई गई थी आजीवन कारावास की सजा
Abu Salem की सजा के आवश्यक कागजात 25 साल पूरे होने के एक महीने के भीतर राष्ट्रपति को भेजे जाएं. सरकार चाहे तो सजा के 25 साल पूरे होने के एक महीने के अंदर सीआरपीसी के तहत छूट के अधिकार का प्रयोग कर सकती है. आपको बता दें, सलेम को 25 फरवरी 2015 को एक विशेष टाडा अदालत ने 1995 में मुंबई के बिल्डर प्रदीप जैन और उनके ड्राइवर मेहंदी हसन की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. 1993 के मुंबई सीरियल बम धमाकों के दोषी Abu Salem को लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 11 नवंबर, 2005 को पुर्तगाल से प्रत्यर्पित किया गया था.
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