किसान आंदोलन के 9 महीने पूरे, केंद्र सरकार और किसानों के बीच नहीं बन रही बात
स्टोरी हाईलाइट्स
किसान आंदोलन के 9 महीने पूरे
11 दौर की हो चुकी है बैठक
गाजीपुर के UP गेट पर किसान कर रहे हैं हवन
कृषि कानून के विरोध में दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन (Farmers Protest) के आज 9 महीने पूरे हो गए। बीते 9 महीने में कई ऐसी घटनाएं घटित हुई हैं, जो इतिहास में दर्ज हो गयी हैं। इस दौरान दिल्ली के लालकिले (Red Fort) पर झंडा फहराना तो पुलिस के साथ हिंसक झड़प करना तक शामिल है। वहीं आंदोलन की वजह से सैकड़ों किसानों की जान भी जा चुकी है। आंदोलन के 9 महीने पूरे होने पर गाजीपुर के यूपी गेट पर आज किसानों द्वारा सरकार की बुद्धि-शुद्धि के लिए हवन किया किया गया है।
Farmers Protest यूपी गेट पर किसानों ने किया हवन
किसान आंदोलन के 9 महीने पूरे होने पर यूपी गेट पर किसानों द्वारा सरकार की शुद्धि-बुद्धि के लिए हवन किया गया। जिसमें किसान यूनियन के कई पदाधिकारी मौजूद रहे। इस दौरान किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष चौधरी विजेंद्र सिंह ने कहा कि “ किसानों का हौसला अभी टूटा नहीं है। सभी पदाधिकारी और किसान एकजुट होकर कृषि कानून (Former Law) का विरोध कर रहे हैं। आंदोलन के कितने वर्ष भी क्यों न बीत जाएं, किसान तब तक वापस नहीं जाएंगे जब तक सरकार काले कानूनों को वापस नहीं लेती और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून नहीं बनाती”।
11 दौर की बैठकों के बाद कोई हल नहीं
किसानों और सरकार (Central government) के बीच अब तक 11 दौर की बैठकें हो चुकी हैं। मगर अभी तक समस्या का कोई हल नहीं निकला पाया है। गौरतलब है कि किसानों के आंदोलन को तेज होते देख केंद्र सरकार ने किसान नेताओं को 1 दिसंबर को दिल्ली के विज्ञान भवन (Vigyan Bhawan) में बातचीत के लिए बुलाया था। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) की किसान नेताओं के साथ कई घंटों तक बातचीत चली थी। अंतिम बार 22 जनवरी को 11वें दौर की बातचीत हुई थी। इसके बाद सरकार और किसानों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई है। तब से सरकार और किसानों के मध्य लगातार गतिरोध बना हुआ है।
किसानों ने लगाई थी अपनी संसद
राजधानी दिल्ली में संसद भवन (Sansad Bhawan) के निकट किसानों ने अपनी समांतर किसान संसद का सफल आयोजन किया था। संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) (Samyukt Kisan Morcha) ने इस विरोध प्रदर्शन के दौरान हर रोज जंतर-मंतर पर 200 प्रदर्शनकारियों से किसान संसद का आयोजन करने का फैसला लिया था। इसके अलावा 26 जुलाई तथा 9 अगस्त को महिला किसानों के विशेष मार्च आयोजित किए गया। जिनमें पूर्वोत्तर के राज्यों समेत भारत भर की महिला किसानों तथा नेताओं के बड़े-बड़े जत्थे शामिल हुए थे।
क्यों विरोध कर रहे हैं किसान?
गौरतलब है कि केन्द्र सरकार सितंबर में 3 नए कृषि विधेयक ला आई थी। जिन पर राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद वे अब कानून बन चुके हैं। जिनमें पहला कानून किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020(Farmer’s Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Act, 2020), दूसरा कानून किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक (. Farmers (Empowerment and Protection) Agreement of Price Assurance and Farm Services Act, 2020) और तीसरा कानून आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक (Essential Commodities (Amendment) Act, 2020) है।
बता दें कि इन तीनों कानूनों के बाद से किसान लगातार इनका विरोध कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि इन कानूनों से किसानों को नुकसान और निजी खरीदारों व बड़े कॉरपोरेट घरानों को फायदा होगा। इसके साथ किसानों को फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य खत्म हो जाने का भी डर सता रहा है।