नई दिल्लीः महाराष्ट्र में बीते दिनों हुए सियासी उलटफेर का अंत Eknath Shinde के सत्ता पर काबिज होने के साथ समाप्त हुई. बीते महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी दल बनकर उभरी भाजपा के समर्थन से शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने. लेकिन इसे पूरे प्रकरण को लेकर हर किसी के मन के कई सवाल थे. आखिर ऐसा क्या हुआ कि उद्धव ठाकरे के सबसे करीबी रहे Eknath Shinde ने बागी बन गए. पार्टी के एक चौथाई विधायकों को भी बागी बना दिया. क्या इसकी पहले से कोई योजना थी या फिर ये कदम अचानक से किसी बड़े राजनीतिक महत्वकांक्षा के तहत उठाया गया. ऐसे कई सवालों के जवाब Eknath Shinde ने बुधवार को एक न्यूज एंजेसी को अपने साक्षात्कार मे दिया आइए जानते है कि इस पूरे प्रकरण में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शिंदे का पक्ष…
बालासाहेब ठाकरे के विचार को आगे ले जाने का किया है फैसला
Eknath Shinde ने कहा कि बालासाहेब ठाकरे का हिन्दुत्व का जो मुद्दा है, हिन्दुत्व के जो विचार हैं, उनकी जो भूमिका है, उसे आगे ले जाने का फैसला हम लोगों ने किया है. हमारे लगभग 50 विधायक अगर एक साथ ऐसी भूमिका लेते हैं तो इसका कोई बड़ा कारण होगा. इसपर विचार करने की आवश्यकता थी.
मैंने कहा है कि उस रिक्शा ने मर्सिडीज को पीछे छोड़ दिया क्योंकि ये सरकार सर्वसामान्य लोगों के लिए सरकार है, ये समाज के हर घटक को न्याय दिलाने वाली सरकार है. उद्धव ठाकरे के बयान “आज तीन पहिए वाले ड्राइवर को सरकार चलाने दे दिया है” जनता को लगा था कि भाजपा सत्ता के लिए कुछ भी करती है लेकिन उन्होंने सभी देशवासियों को बता दिया है कि इन 50 लोगों ने एक हिन्दुत्व की भूमिका ली है, इनका एजेंडा हिन्दुत्व का है,विकास का है, इनका समर्थन करना चाहिए. उन्होंने हमें समर्थन किया.
बड़े दिल वाले फडणवीसः Eknath Shinde
मैंने कई बार चर्चा की कि महा विकास अघाडी में जो हम बैठे हैं इससे हमें फायदा नहीं हैं, नुकसान है. हमारे विधायक चिंतित हैं कि कल चुनाव कैसे लड़ें. नगर पंचायत चुनाव में हम 4 नंबर पर गए. मतलब सरकार का फायदा शिवसेना को नहीं हो रहा. देवेंद्र फडणवीस बड़े दिल से उपमुख्यमंत्री बन गए. लेकिन जब पार्टी का आदेश आता है तो पार्टी का आदेश मानते हैं वो और मेरे जैसे बालासाहेब के कार्यकर्ता को मुख्यमंत्री पद पर बैठा दिया. मैं PM मोदी का, केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा अध्यक्ष को धन्यवाद करता हूं.
जब हम चुनाव में जीतते हैं तो हमारे चुनाव क्षेत्र के मतदाताओं की विकास को लेकर अपेक्षा होती है. लेकिन हमारे विधायक काम नहीं कर पा रहे थे, फंड की कमी थी. हमने इस बारे में हमारे वरिष्ठ से बात कि परन्तु हमे कामयाबी नहीं मिली. इसलिए हमारे 40-50 विधायकों ने ये भूमिका ली.
नहीं ले पाए निर्णय
शिवसेना-भाजपा ने एक साथ चुनाव लड़ा था और सरकार बन गई कांग्रेस-NCP के साथ. इसके कारण जब भी हिन्दुत्व के मुद्दे आए, दाऊद का मुद्दा आया, मुंबई बम ब्लास्ट का मुद्दा और भी कई मुद्दे जब आते थे, हम कोई भी निर्णय नहीं ले पा रहे थे. हम लोग कोई भी गैरकानूनी काम नहीं कर रहे. लोकशाही में कानून है, नियम हैं, उसी के मुताबिक ही काम करना पड़ता है. आज हमारे पास बहुमत है. सुप्रीम कोर्ट में भी हमारे खिलाफ जो लोग गए थे, उन्हें भी कोर्ट ने डांट लगाई है.
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