नई दिल्लीः Rahul Gandhi गुरूवार को लगातार चौथ् दिन प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सामने पेश हुए. एजेंसी ने उन्हें नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में शामिल होने के आरोप में तलब किया है. साल 2012 में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने यंग इंडियन लिमिटेड द्वारा एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के अधिग्रहण में गांधी परिवार समेत कुछ कांग्रेस नेताओं पर धोखाधड़ी और विश्वासघात करने का आरोप लगाते हुए एक शिकायत दर्ज कराया था.
हर राज्य में विरोध प्रदर्शन
इस बीच अपनी एकताजुटता दिखाते हुए कांग्रेस के दिग्गज नेता और समर्थक सड़कों पर उतर आए हैं और ईडी की कार्रवाई को राजनीति प्रेरित बताते हुए इसका विरोध कर रहे हैं. दिल्ली पुलिस ने कांग्रेस पार्टी के कार्यालय के बाहर पार्टी के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं को विरोध प्रदर्शन करने के चलते हिरासत में ले लिया. Rahul Gandhi के समर्थन में लगभग हर राज्य में विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है.
हाल के दिनों में, पार्टी द्वारा इस तरह का विरोध प्रदर्शन कम देखने को मिले हैं. पार्टी की अंदरूनी कलह ने कई लोगों को यह कहने पर मजबूर कर दिया है कि कांग्रेस को खुद को पुनर्जीवित करने की सख्त जरूरत है. फिलहाल पार्टी राज्य विधानसभाओं और संसद में कमजोर है.
क्या यह कांग्रेस और Rahul Gandhi के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है?
कांग्रेस के निलंबित नेता संजय झा ने एक साक्षात्कार में कहा कि कांग्रेस के पास भाजपा को हराने की क्षमता है. जिसे अब साबित करने का समय आ गया है. झा ने आगे कहा कि हैं, “मोदी सरकार अपने नकारात्मक धारणा के अंत के बहुत नजदीक है. भाजपा के प्रवक्ताओं द्वारा पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ अपमानजनक बयान देने वाले प्रकरण ने मोदी और देश के लिए एक कूटनीतिक शर्मिंदगी पैदा कर दी है.”
“हालांकि , ईडी की जांच में कांग्रेस को घसीटकर और विशेष रूप से राहुल गांधी पर लोगों का ध्यान केंद्रित करके इस शीर्षक बदलने की कोशिश की गई है. कांग्रेस को यह महसूस करने की जरूरत है कि उसके पास देश भर में लोगों को जुटाने की क्षमता है. कांग्रेस पार्टी की रैंक और फाइल भाजपा से मुकाबला करने के लिए इंतजार कर रही हैं. पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने जो कुछ खोया है वह एक प्रेरणादायक नेतृत्व और कर्तव्य का बुलावा है.”
अपने इंटरव्यू में झा ने ये भी दावा किया कि यह कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के लिए एक बदलाव का घड़ी है, जिन्हें लोगों को बताना चाहिए कि वर्तमान सरकार कितनी “क्रूर, और अलोकतांत्रिक” है. जिसने भी नेशनल हेराल्ड केस पढ़ा है, वह आपको बताएगा कि यह बहुत नाजुक मामला है. “पार्टी में चुनाव जीतने की भूख नहीं थी. यह उसके लिए मौका है.”
कांग्रेस को पुनर्जीवित करना अभी दूर की कौड़ी
हालांकि, वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी का मानना है कि इन विरोध प्रदर्शनों से वह आवश्यक प्रोत्साहन नहीं मिलेगा जिसकी पार्टी को तलाश थी. “कांग्रेस ने ईडी के नोटिस के विरोध में अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं को लड़ाई के लिए तैयार किया है. जबकि ईडी का नोटिस लोगों का मुद्दा नहीं है. Rahul Gandhi एक सार्वजनिक व्यक्ति हैं और जब एक सार्वजनिक व्यक्ति शामिल होता है, तो बहुत सावधान रहना होगा. यह क्या है दिखाता है कि राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी में एकमात्र निर्णय निर्माता हैं. क्या इन विरोधों से कांग्रेस को खुद को पुनर्जीवित करने में मदद मिलेगी, यह अभी थोड़ी दूर की कौड़ी है.
विरोध प्रदर्शन ने पार्टी के दरारों को किया उजागर
नाम न छापने की शर्त पर कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता इस मामले पर रुख कुछ अलग ही है. उन्होंने कहा कि “कल्पना कीजिए, पार्टी के कुछ प्रमुख लोग ऐसे समय में अनुपस्थित हैं जब इतने बड़े पैमाने के विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. अगर इस विरोध में गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, सलमान खुर्शीद जैसे अन्य लोगों की भागीदारी होती तो ये पूरी तरह से एक एक अलग संदेश होता. इसका दायित्व Rahul Gandhi को जाता है, जिन्होंने पार्टी को एकजुट करना महत्वपूर्ण नहीं समझा. हम इतने चुनाव हार चुके है, फिर भी एक वेक-अप-कॉल के रूप में काम नहीं किया गया. और सबसे बुरा तो ये रहा कि, इन विरोधों ने केवल पार्टी के भीतर की दरारों को उजागर किया है.”
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