Monday, December 11, 2023
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Kalyan Singh: तिरंगे के ऊपर BJP का झंडा रखने से शुरू हुआ विवाद, जानें क्या हैं नियम

स्टोरी हाईलाइट्स
तिरंगे के ऊपर रखा गया BJP का झंडा
विपक्ष ने सरकार पर साधा निशाना
सोशल मीडिया पर सरकार की हो रही आलोचना

सोशल मीडिया पर आज एक तस्वीर खूब वायरल हो रही है। जिसमें तिरंगे के ऊपर भाजपा का झंडा रखा हुआ दिखाई दे रहा है।  इस तस्वीर को लेकर सोशल मीडिया पर भाजपा की जमकर आलोचना हो रही है।  दरअसल, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह (Kalyan Singh) का शनिवार को निधन हो गया। अंतिम दर्शन के लिए पार्थिव शरीर बीजेपी (BJP) कार्यालय में रखा गया था।  उनके शव के ऊपर तिरंगा लपेटा गया था।  लेकिन बाद में पैरों की तरफ BJP का झंडा भी रख दिया गया था। जिसके बाद विपक्ष ने भाजपा को निशाने पर ले लिया।

क्यों रखा गया Kalyan Singh के शव पर BJP का झंडा ?

कल्याण सिंह के शव के ऊपर तिरंगा (National Flag) और फिर उसके ऊपर भाजपा का झंडा रखने के बाद विवाद शुरू हो गया है। कोई इसे तिरंगे का अपमान बता रहा है तो कोई राजकीय सम्मान की बात कर रहा है। दरअसल, कल्याण सिंह ने इच्छा जताते हुए कहा था, ‘संघ और भाजपा के संस्कार मेरे रक्त की बूंद-बूंद में समाए हुए हैं।  मेरी इच्छा है कि जीवन भर भाजपा में रहूं और जीवन का जब अंत होना हो तो मेरा शव भी भारतीय जनता पार्टी के झंडे में लिपटकर जाए’।

क्या कहते हैं नियम ?

भारतीय झंडा संहिता (Flag Code Of India) 2002 के अनुसार, तिरंगे का उपयोग सिर्फ उनके अंतिम संस्कार मे किया जाता है, जिन्हें राष्ट्रीय सम्मान दिया जा रहा हो।  जिसमें कोई जवान या फिर राजकीय सम्मान पाने वाले राजनेता आते हैं।  नियम के मुताबिक, किसी अन्य झंडे को राष्ट्रीय झंडे के बराबर नहीं रखा जाएगा।   न ही कोई दूसरी वस्तु उस ध्वज दंड के ऊपर रखी जाएगी, जिस पर झंडा फहराया जाएगा।  इन वस्तुओं में फूल अथवा मालाएं व प्रतीक भी शामिल हैं।  वहीं झंडे पर कुछ लिखा नहीं जा सकता है और न ही किसी सामान को लेने-देने या ले जाने के लिए किया जा सकता है।

विपक्ष ने बताया तिरंगे का अपमान

राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भाजपा का झंडा रखे जाने को लेकर विपक्ष ने भाजपा को निशाने पर लिया। यूथ कांग्रेस (INC) ने अपने ट्वीटर हैंडल से ट्वीट कर लिखा कि ‘तिरंगे का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान’।

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वहीं सपा प्रवक्ता घनश्याम तिवारी ने ट्वीट में लिखा कि ‘देश से ऊपर पार्टी।  तिरंगे से ऊपर झंडा। हमेशा की तरह भाजपा: कोई पछतावा नहीं, कोई पश्चाताप नहीं, कोई दुख नहीं’।

गौरतलब है कि कल्याण सिंह राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख नेताओं में गिने जाते थे और 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के वक्त उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। जिसके बाद कल्याण सिंह ने UP के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।

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