स्टोरी हाइलाइट्स
संग्रहालय बनाने की कोशिश थे चिराग पासवान
सरकार ने बंगला ख़ाली कराने को भेज दी टीम
नई दिल्लीः रामविलास पासवान इकलौते ऐसे नेता थे. जिन्होंने केंद्रीय मंत्री की कुर्सी संभालने के बाद से अपने मृत्यु तक मंत्री पद पर बने रहे. 14 मार्च 1990 को जब रामविलास पासवान श्रम मंत्री बने उसके बाद से उन्हें सरकार की तरफ से बंगला दिया गया था और उसके बाद अलग-अलग मंत्रालय संभालने के दौरान लगातार सरकारी बंगला उन्हीं के पास ही रहा.
पासवान को मिले बंगले को खाली कराने को सरकार ने भेजी टीम
लेकिन अब 8 अक्तूबर 2020 को उनकी मौत के बाद 7 नवंबर 2020 तक ही उनका परिवार इस बंगले में रह सकता था. इसके बाद 6 जनवरी 2021 को सरकार की तरफ से इस बंगले को खाली कराने की प्रकिया शुरू हो गयी. 14 जुलाई 2021 को घर ख़ाली कराने का फ़ैसला पास किया गया. जिसके बाद सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि केंद्र सरकार ने बुधवार पूर्व केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान को मिले इस बंगले को ख़ाली कराने के लिए टीम भेज दी.
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संपदा निदेशालय ने की कारवाई
जानकारी के अनुसार आवास एवं शहरी मामलों के केंद्रीय मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले संपदा निदेशालय ने यह बंगला ख़ाली कराया है. तीन दशक पहले सरकार ने यह बंगला आवंटित किया था और आठ महीने पहले बंगला ख़ाली कराने का नोटिस दिया गया था.वहीं बेटे चिराग पासवान इस घर को अपने पिता के सम्मान में एक संग्रहालय बनाने की तैयारी में लगे हुए थे.
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पार्टी के गठन के बाद पासवान ने बनाया था दफ्तर
सरकार से जुड़े एक अधिकारी के अनुसार सांसद रहते हुए चिराग पासवान को एक दूसरा सरकारी आवास आवंटित किया गया है और अगस्त 2021 में 12 जनपथ वाले बंगले को रेलवे एवं आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव को आवंटित किया गया था लेकिन बंगला ख़ाली न होने की वजह से उन्हें यह नहीं दिया गया था.बता दें कि लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक राम विलास पासवान को यह बंगला साल 2000 में लोजपा पार्टी के गठन के बाद पार्टी का दफ़्तर भी था.
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