विपक्षी पार्टियों के मंसूबे फेल, केंद्र सरकार नहीं कराएगी जातिगत जनगणना
स्टोरी हाईलाइट्स
नहीं होगी जातीय जनगणना
केंद्र सरकार ने कोर्ट में दिया हलफनामा
बिहार के कई नेताओं ने की थी मांग
जातीय जनगणना (Census in 2021) को लेकर छिड़े विवाद पर एक बड़ी खबर सामने आई है। जातिगत जनगणना के मसले पर केंद्र सरकार ने स्थिति स्पष्ट कर दी है। एक याचिका के जबाव में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को बताया कि पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर है। जनगणना के दायरे से इस तरह की सूचना को अलग करना ‘सतर्क नीति निर्णय’ है। दरअसल, जातीय जनगणना को लेकर अभी हाल ही में बिहार से 10 नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने नीतीश कुमार की अगुवाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी।
Census in 2021 पर केंद्र सरकार ने क्या कहा ?
2021 की जनगणना जातीय आधार पर कराए जाने को लेकर महाराष्ट्र सरकार की याचिका के जबाव में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है। सरकार ने हलफनामे में कहा कि ‘सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (SICC) 2011 में काफी गलतियों और अशुद्धियों के साथ भ्रम की स्थिति थी। केंद्र ने पिछले साल जनवरी में एक अधिसूचना जारी कर जनगणना 2021 के लिए जुटाई जाने वाली सूचनाओं का ब्यौरा तय किया था। इसमें अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति से जुड़े सूचनाओं सहित कई क्षेत्रों को शामिल किया गया। लेकिन इसमें जाति के किसी अन्य श्रेणी का जिक्र नहीं किया गया है। सरकार का कहना है कि जनगणना के दायरे से इस तरह की सूचना को अलग करना नीतिगत फैसला है।
PM से मिला था 10 नेताओं का प्रतिनिधिमंडल
दरअसल, जाति आधार पर जनगणना कराए जाने को लेकर काफी दिनों से विवाद चल रहा है। जातीय जनगणना कराने को लेकर बिहार के 10 नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने पीएम मोदी (Narendra Modi) से दिल्ली में मुलाकात की थी। इस प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई बिहार के सीएम नीतीश कुमार (Nitesh Kumar) ने की थी। जिसमें बिहार के विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव भी शामिल हुए थे। यही नहीं, सुशील कुमार मोदी जैसे बीजेपी के अपने नेता भी इसकी वकालत करते रहे हैं।
बता दें कि जाति आधारित जनगणना आखिरी बार 1931 में हुई थी। आजादी के बाद जब 1951 में पहली जनगणना शुरू हुई तो जाति का मसला उठाया गया। तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने कहा था कि जाति आधारित जनगणना से सामाजिक ताना-बाना बिखर जाएगा। उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया था। जाति आधारित जनगणना का मामला वृहस्पतिवार को न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया, अब मामले की अगली सुनवाई 26 अक्टूबर को होगी।