हार के बाद भी किसी खिलाड़ी को तारीफ मिले तो जाहिर है। उसने ऐसा प्रदर्शन किया होगा कि सबका दिल जीत लिया होगा। टोक्यो ओलंपिक 2020 में मुक्केबाज Satish Kumar ने कुछ ऐसा ही किया है। मुक्केबाजी के प्री-क्वार्टर फाइनल में सतीश कुमार के माथे पर चोटें आई थी। इसके बाद भी मैदान वह क्वार्टर फाइनल में ‘घायल शेर’ की तरह मैदान में मुक्केबाजी करते रहे। मुक्केबाजी दौरान ही उनके माथे पर लगा घाव खुल गया बावजूद इसके बावजूद वह लड़ते रहे।
सात टांके लगने के बाद भी लड़े Satish Kumar
क्वार्टर फाइनल मुकाबले से पहले मैच में मुक्केबाज Satish Kumar के चेहरे पर सात टांके लग चुके थे। इसके बावजूद उन्होंने अगले मैच में उतरने का फैसला किया। प्री क्वार्टर मैच में भले ही उनको हार मिली, लेकिन खेल के प्रति उनके इस जूनून ने ना केवल भारतीयों बल्कि विरोधी जालोलोव को भी अपना फैन बना लिया।
सुपर हैवीवेट में क्वालिफाई करने वाले पहले मुक्केबाज
सतीश कुमार ओलंपिक में सुपर हैवीवेट वर्ग में क्वालिफाई करने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज रहे। मुक्केबाज सतीश कुमार की हार के साथ ही टोक्यो ओलंपिक में मुक्केबाजी के पुरुष वर्ग में मेडल की उम्मीद खत्म हो गई। अब देश की नजर लवलीना बोरगोहेन पर टिकी हैं, जो महिला वर्ग में सेमीफाइनल खेलेंगी। इन्होंने टोक्यो ओलंपिक मुक्केबाजी में भारत का पहला और एकमात्र पदक सुनिश्चित किया है।
बॉक्सिंग में भारत के खाते में बस एक मेडल
टोक्यो ओलंपिक मुक्केबाजी में भारतीय टीम ने निराशाजनक प्रदर्शन किया है। मैरीकॉम, अमित पंघल, विकास कृष्ण जैसे बॉक्सर मेडल के दावेदार होने के बाद भी भारत के खाते में एक ही मेडल ही रहा। भारत के तरफ से लवलीना बोरगोहेन सेमीफाइनल में पहुंचने वाली इकलौती मुक्केबाज रही। इनका सामना सेमीफाइनल तुर्की की बुसेनाज सुरमेनेली से होगा।