नई दिल्लीः हरियाणा कांग्रेस से निष्कासित नेता कुलदीप बिश्नोई ने पार्टी छोड़ने और प्रतिद्वंद्वी भाजपा में शामिल होने की पूरी तैयारी कर ली है. हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई को पार्टी से तब हटा दिया था, जब उन्होंने हरियाणा राज्यसभा चुनावों में क्रॉस वोटिंग की थी, जिसके चलते कांग्रेस के उम्मीदवार अजय माकन की शर्मनाक हार करना पड़ा.
बिश्नोई ने पिछले हफ्ते गुरुग्राम में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से मुलाकात की थी, जिसके बाद उन्होंने कहा कि वह कोई भी फैसला लेने से पहले अपने समर्थकों से चर्चा करेंगे. बता दें कि विश्नोई भाजपा की सहयोगी दल जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) में शामिल होने के ऑफर को पहले ही ठुकरा चुके थे और कहा था कि वह क्षेत्रीय संगठन के बजाय राष्ट्रीय पार्टी से जुड़ना पसंद करेंगे. वहीं आम आदमी पार्टी (आप) में बिश्नोई के शामिल होने की संभावना न के बराबर है, क्योंकि पड़ोसी राज्य दिल्ली और पंजाब में सत्ता में होने के बावजूद अभी‘आप’को हरियाणा की राजनीति में एक प्रमुख खिलाड़ी बनने में काफी वक्त है.
अपनी शर्तो पर बीजेपी में शामिल होना चाहते है बिश्नोई
माना जा रहा है कि बिश्नोई भाजपा में अपने संभावित प्रवेश को लेकर अपने नियम और शर्तों पर बातचीत कर रहे हैं, क्योंकि उनके साथ भाई-भतीजावाद का भी भार है. जबकि आम तौर पर भाजपा चुनावों के दौरान एक परिवार से एक को ही टिकट देती है, उसे अपवाद नहीं बनाती. बिश्नोई चाहेंगे कि उनके बड़े बेटे भव्य बिश्नोई को भी भाजपा में उचित स्थान देने का आश्वासन मिले.
उन्हें अपने बड़े भाई चंदर मोहन की बहुत ज्यादा फिक्र नहीं है, हालांकि वे पूर्व उपमुख्यमंत्री होने के बावजूद कांग्रेस पार्टी में हाशिए पर खड़े हैं और पार्टी के साथ अब भी बने हुए है. वो भी तब भी जब उनके पिता भजन लाल और भाई बिश्नोई ने कांग्रेस पार्टी के खिलाफ विद्रोह किया था और 2007 में अपना राजनीतिक दल ‘हरियाणा जनहित कांग्रेस’ बनाया था. बिश्नोई ने 2016 में एचजेसी का कांग्रेस पार्टी में विलय कर दिया. वह वर्तमान में आदमपुर सीट से विधायक हैं जो हिसार लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है.
कुलदीप बिश्नोई ने 2019 के लोकसभा चुनावों में हिसार सीट से भव्य बिश्नोई के लिए कांग्रेस से टिकट दिलाया था, जहां उन्होंने तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा, वो भाजपा के उम्मीदवार बृजेंद्र सिंह और मौजूदा सांसद दुष्यंत चौटाला से पीछे रहे थे, चौटाला अब हरियाणा के उपमुख्यमंत्री हैं.
एक परिवार एक टिकट कुछ मामलों में अपवाद
एक परिवार एक टिकट के मानदंड का पालन करने के अपने दावे के बावजूद, भाजपा कुछ मामलों में अपवाद करती है. मसलन केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह लखनऊ से सांसद हैं जबकि उनके बेटे पंकज सिंह नोएडा से विधायक हैं. इसी तरह, मकेना गांधी और उनके बेटे वरुण गांधी 2009 से उत्तर प्रदेश से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं और जीत रहे हैं. राजस्थान में, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे झालरापाटन से विधायक हैं, जबकि उनके बेटे दुष्यंत सिंह झालावाड़ से सांसद हैं.
भाजपा ने हिसार के मौजूदा सांसद बृजेंद्र सिंह के मामले में भी अपवाद बनाया था, वह पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह के बेटे हैं. जब भाजपा ने उन्हें हिसार से टिकट की पेशकश की, तो बीरेंद्र सिंह नरेंद्र मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्यरत थे, और उनकी मां प्रेमलता सिंह उचाना कलां से विधायक थीं.
पार्टी में प्रर्तिरोध
हालांकि, बिश्नोई परिवार को पार्टी में शामिल करने से पहले, बीजेपी को 2019 के विधानसभा चुनाव में बीरेंद्र सिंह परिवार और आदमपुर सीट से बीजेपी उम्मीदवार सोनाली फोगट (हरियाणा की टिकटॉक सुपरस्टार) जिन्होंने बिश्नोई के खिलाफ असफल चुनाव लड़ा था, उनके प्रतिरोध का सामना करना पड़ेगा.
बिश्नोई के भाजपा में शामिल होने की स्थिति में, उन्हें आदमपुर सीट से इस्तीफा देना होगा और उपचुनाव के लिए मजबूर करना होगा. अभी तक स्पष्ट नहीं है कि बिश्नोई उपचुनाव लड़ना पसंद करेंगे या उनके स्थान पर अपने बेटे भव्य के लिए मैदान तैयार करेंगे जो 2024 के लोकसभा चुनावों में हिसार से लोकसभा जाना चाहते हैं. इसका मतलब या तो बृजेंद्र सिंह को टिकट से वंचित रखा जा सकता है या उन्हें किसी अन्य निर्वाचन क्षेत्र में स्थानांतरित करना पड़ सकता है.
गौरतलब है कि, बीरेंद्र सिंह भी अब भाजपा से बहुत दूर चले गए हैं जब से भाजपा ने उनके बेटे को केंद्रीय मंत्री के रूप में शामिल करने की उनकी मांग को नजरअंदाज किया है. उनके जल्द ही आप में शामिल होने की उम्मीद भी जताई जा रही है.
बिश्नोई एक बड़े गैर जाट नेता
बिश्नोई पिता और पुत्र की जोड़ी को टिकट देने और पार्टी के दूसरों लोगों के प्रतिरोध को नजरअंदाज करने के लिए भाजपा को अपवाद के लिए लुभाया जा सकता है. क्योंकि बिश्नोई के संभावित प्रवेश से बीजेपी को काफी फायदा हो सकता है. क्योंकि बिश्नोई वर्तमान सीएम मनोहर लाल खट्टर की तरह हरियाणा के एक बड़े गैर-जाट नेता हैं. जो हरियाणा में 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले गैर-जाट वोटों पर भाजपा की पकड़ को और मजबूत करेगा.
इसके अलावा, सैद्धांतिक रूप से, बिश्नोई पड़ोसी राजस्थान की कई सीटों के नतीजों को भी प्रभावित कर सकते हैं, जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने है. बिश्नोई समुदाय की राजस्थान के 21 विधानसभा क्षेत्रों में एक बड़ी मौजूदगी है और कुलदीप बिश्नोई को बिश्नोई समुदाय का सबसे बड़ा नेता माना जाता है.
भाजपा को रखना होगा ये ध्यान
हालाँकि, भाजपा को यह विचार करना पड़ेगा कि बिश्नोई बहुत महत्वाकांक्षी और अप्रत्याशित हैं. साल 2006 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी जब उनके पिता भजन लाल को सोनिया गांधी ने नजरअंदाज कर दिया था और 2005 में भूपिंदर सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री बनने के लिए नामित किया था. तब उन्होंने एचजेसी का गठन किया था और भाजपा के सहयोगी बन गए, लेकिन 2014 के हरियाणा विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा से बाहर हो गए, जब भाजपा ने उन्हें अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में नामित करने से इनकार कर दिया.साल 2016 में वह फिर कांग्रेस पार्टी में लौट आए और हाल ही में हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में नामित होने के उनके दावे की अनदेखी के बाद वो राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग में शामिल हो गए.
भाजपा को मिलेगी मजबूती
बिश्नोई के सहयोगियों का दावा है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद का वादा किया था, जो भूपिंदर सिंह हुड्डा के वफादार उदय भान को मिला था. बिश्नोई ने राहुल गांधी से मिलने की कोशिश की, लेकिन उन्हें नियुक्ति नहीं दी गई, जिससे राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अजय माकन की हार हुई. यदि बिश्नोई भाजपा में चले जाते हैं, तो यह कांग्रेस पार्टी को कमजोर करने और कम से कम हरियाणा में भाजपा को मजबूत बनाने के लिए काफी है.
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