नई दिल्लीः नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) को बड़ा झटका लगा है. गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट ने तीन दशक पुराने रोड रेज मामले फैसला सुनाते हुए सिद्धू को एक साल की सजा सुनाई है. 1988 के इस रोड रेज मामले में पहले नवजोत सिंह सिद्धू को राहत मिल गई थी. लेकिन इसमें जिस शख्स की मौत हुई थी, उसके परिवार द्वारा रिव्यू पिटीशन दायर किया गया था. जिस पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायलय ने Navjot Singh Sidhu को एक साल की सजा सुनाई है.
BREAKING| Supreme Court Enhances Sentence Of Navjot Sidhu To One Year Imprisonment In 1987 Road Rage Case, Allows Review
— Live Law (@LiveLawIndia) May 19, 2022
तीन दशक पुराने मामले में Navjot Singh Sidhu को हुई सजा
गौरतलब है कि Navjot Singh Sidhu पर 33 साल पहले IPC की धारा 323 के तहत केस दर्ज हुआ था. जिसमें अधिकतम एक साल की सजा ही हो सकती है. लेकिन क्या है 3 दशक पुराना ये रोड रेज मामला. चलिए हम आपको बताते है.
रोड रेज मामले में 65 साल के बुजुर्ग की हो गई थी मौत
27 दिसंबर 1988 की शाम Navjot Singh Sidhu अपने दोस्त रूपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला के शेरावाले गेट की मार्केट में पहुंचे थे. ये जगह सिद्धू के घर से 1.5 किलोमीटर दूर है. उस समय सिद्धू का अंतरराष्ट्रीय करियर शुरू हुए महज एक साल ही हुआ था. इसी मार्केट में कार पार्किंग को लेकर उनकी 65 साल के बुजुर्ग गुरनाम सिंह से बहस हो गई. बहस बढ़ते बढ़ते बात हाथापाई तक जा पहुंची. Navjot Singh Sidhu ने गुरनाम सिंह को घुटना मारकर गिरा दिया. औऱ गुरनाम सिंह को चोट लग गई. जिसके बाद गुरनाम सिंह को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई.
हाईकोर्ट ने Navjot Singh Sidhu को सुनाई थी तीन साल की सजा
हालांकि रिपोर्ट में ये आया कि गुरनाम सिंह की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी. उसी दिन Navjot Singh Sidhu और उनके दोस्त रूपिंदर पर कोतवाली थाने में गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज हुआ. सेशन कोर्ट में केस चला. 1999 में सेशन कोर्ट ने केस को खारिज कर दिया. साल 2002 में पंजाब सरकार ने सिद्धू के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की. इसी बीच सिद्धू राजनीति में आ गए. 2004 के लोकसभा चुनाव में अमृतसर सीट से बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ा और जीते. दिसंबर 2006 को हाईकोर्ट का फैसला आया. हाईकोर्ट ने सिद्धू और संधू को दोषी ठहराते हुए 3-3 साल कैद की सजा सुनाई. साथ ही 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया. सिद्धू ने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने Navjot Singh Sidhu के इस मामले में सुरक्षित रखा था फैसला
साल 2006 में हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई. सिद्धू की ओर से बीजेपी के दिवंगत नेता अरुण जेटली ने केस लड़ा. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई. 15 मई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने section 323 के तहत दोषी पाया था. लेकिन गैर इरादतन हत्या (304) के तहत दोषी नहीं पाया था. इसमें सिद्धू को जुर्माना लगाकर छोड़ दिया गया था. Sep 12, 2018 को सुप्रीम कोर्ट रिव्यू पिटिशन पर सुनवाई के लिए तैयार हुआ था March 25, 2022 को रिव्यू पिटिशन पर अपना फैसला कोर्ट ने सुरक्षित रख लिया था.