लखनऊः यूपी में योगी सरकार ने बीते दिनों 2022 का आम बजट पेश किया. जिसमें पहली बार पुरोहितों, संतों एवं बुजुर्ग पुजारियों के हित में सरकार द्बारा बड़ा ऐलान किया गया. उत्तर प्रदेश में इनके हित में सरकार पुरोहित कल्याण बोर्ड की स्थापना करेगी. जिसके लिए बजट में कल्याण बोर्ड की स्थापना के लिए एक करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. यह बोर्ड संतों, पुरोहितों एवं बुजुर्ग पुजारियों के समग्र कल्याण की योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए कार्य करेगा.
धार्मिक कार्य करने वालों की आर्थिक दशा सुधरेगी
बागीश पाठक के अनुसार उत्तर प्रदेश में पहली बार किसी सरकार ने पुरोहितों, संतों और बुजुर्ग पुजारियों के हित में इतना बड़ा फैसला लिया है. इसकी जितनी तारीफ की जाए कम है. निश्चित तौर पर ऐसा नितांत जरूरी फैसला योगी महाराज ही ले सकते थे। इस फैसले का दूरगामी और तात्कालिक दोनों तरह से असर होगा. तात्कालिक असर तो यही होगा कि धार्मिक कार्य करने वालों की आर्थिक दशा सुधरेगी.
मंदिर के पुजारियों का वेतन ही उनका सहारा
ब्राह्मण समाज से आने वाले पुरोहित, पुजारियों और समाज के हर जाति वर्ग से आने वाले संतों का आर्थिक जीवन बहुत ही जद्दोजहद वाला होता है. अगर ब्राह्मण समाज से आने वाले पुजारियों और पुरोहितों की बात करें तो अधिकतर मामलों में मंदिरों का चढ़ावा मंदिर कमेटी को जाता है. मंदिर के पुजारियों का वेतन ही उनका सहारा होता है.
अगर केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों के श्रमिकों के लिए निर्धारित मिनिमन वेज से तुलना करें तो उनका वेतन इससे भी कम होता है. साथ ही आर्थिक विपन्नता के बावजूद समाज के उच्च वर्ग से होने की वजह से ज्यादातर सरकारी योजनाओं के दायरे में भी नहीं आते. ऐसे में इनके कष्टप्रद जीवन का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है.
अन्य सरकार पूजारियों को योजनाओं का लाभ देने से कतराती थी
अब तक पुरोहितों, संतों एवं बुजुर्ग पुजारियों के कल्याण की कोई योजना नहीं थी। मंदिर और पूजा पाठ का ही इनकी आजीविका का सहारा है. समाज के दूसरे कमजोर वर्गों जैसे श्रमिक, बुजुर्गों, विधवाओं आदि की सामाजिक सुरक्षा के लिए पेंशन समेत कई योजनाएं हैं. लेकिन खासकर पुजारियों और पुरोहितों के ब्राह्मण वर्ग से आने की वजह से हर सरकार इनकी कमजोर आर्थिक दशा के बावजूद किसी तरह की कल्याणकारी योजना का लाभ देने से हिचकती थी. लेकिन योगी जी ने इस हिचक को तोड़ा और इस फैसले से ये साबित कर दिया है कि उनके नेतृत्व में उत्तर प्रदेश की मौजूदा सरकार सही मायने में समग्र समाज के विकास और आर्थिक हितों की चिंता करती है.
नई पीढ़ी का फिर से बढ़ेगा रूझान
बागीश पाठक ने बताया कि पुरोहित का कार्य आर्थिक तौर पर आकर्षक नहीं है. इस वजह से अगली पीढ़ी पूजा पाठ, संस्कृत, वेद-पुराण एवं धर्मग्रंथों के अध्ययन से विमुख हो रही थी. खुद पुरोहित और पुजारी भी अपने बच्चों को इस वृत्ति से दूर ही रखने का मन बनाने लगे थे. ऐसे में योगी सरकार के इस फैसले ने आर्थिक सुरक्षा का विश्वास पैदा किया है. इस फैसले का सबसे बड़ा सकारात्मक असर होगा कि ब्राह्मण समाज की नई पीढ़ी का रूझान दोबारा इस वृत्ति की तरफ बढ़ेगा.
पूजारियों और बाह्मणों के मजबूती से ही होगा सबका साथ सबका विकास
ये फैसला भारत की आध्यात्मिक आत्मा को भी मजबूत करेगी. ब्राह्मण समाज के पुजारियों, पुरोहितों को साथ लिए बिना भारत की आध्यात्मिक आत्मा मजबूत नहीं हो सकती है. अगर समाज का ये तबका कमजोर होगी तो भारत की आध्यात्मिक आत्मा भी कमजोर होगी. खुद योगी आदित्य़नाथ संत परंपरा से आते हैं वे ये भलीभांति जानते हैं कि सबका साथ और सबका विकास तभी संभव है. जबकि ब्राह्मण समाज से आने वाले पुजारियों और पुरोहितों को भी मजबूती मिले और उन्हें उचित स्थान एवं सम्मान मिले.
पुरहितों के हित में उठाया गया बड़ा कदम
ब्राह्मण समाज से आने वाले पुरोहितों और पुजारियों को समाज के एक तबके में हेय दृष्टि से देखने की भावना है. ये फैसला उनके मुंह पर भी करारा तमाचा है. उम्मीद है कि कल्याण बोर्ड पुरोहित, पुजारियों और संतों के समग्र हितों की चिंता करेगी और इन्हें भी समाज के समग्र विकास में हिस्सेदार बनाएगी. ब्राह्णण समाज से आने वाले पुजारियों, पुरोहितों के हित में उठाए गए यह एक साहसिक और नेक पहल है.
बागीश पाठक
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