तालिबानियों ने महिलाओं को आजादी देने की घोषणा तो की है। लेकिन वाकई महिलाओं को पूर्ण रूप से आजादी मिलेगी
स्टोरी हाईलाइट्स
शरिया कानून के तहत मिलेगी आजादी
महिला एंकर को स्टूडियो से उठाया
हिजाब न पहनने पर गवर्नर की हत्या
अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबानी कब्जे के बाद हालात बहुत ही भयावय हैं। लोगों को अब महिलाओं (Afghan woman’s) को लेकर डर सता रहा है। बीते दिन तालिबान (Taliban) ने अपनी पहली प्रेस कांफ्रेस में कहा था कि महिलाओं को काम करने की आजादी मिलेगी। लेकिन इसके इतर कल एक गवर्नर की गोली मारकर हत्या कर दी गई। अब ऐसे में कई सवाल खड़े हो जाते हैं कि क्या तालिबान महिलाओं को लेकर जो दावे कर रहा है वह झूठे हैं।
हिजाब न पहनने पर (Afghan woman’s) गवर्नर की हत्या
अफगानिस्तान में तालिबान का महिलाओं पर जुल्म बढ़ता ही जा रहा है। कल एक तरफ तालिबान महिलाओं की आजादी को लेकर प्रेस कांफ्रेस में बड़ी-बड़ी बातें कर रहा था। वहीं दूसरी तरफ तालिबानी आतंकियों ने बल्ख प्रांत की गवर्नर सलीमा मजारी (Salima Mazari) की गोली मारकर हत्या कर दी। गवर्नर का कसूर सिर्फ इतना था कि उसने हिजाब नहीं पहन रखा था। कुछ दिन पहले सलीमा मजारी ने कहा था कि वह अफगानिस्तान छोड़कर कहीं नहीं जाएंगी। महिला गवर्नर की हत्या के बाद यह स्पष्ट हो जाता है कि तालिबान महिलाओं की आजादी को लेकर जो वादे कर रहा है वह सब एक धोखा है।
अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबानी कब्जे के बाद सबके जहन में एक ही सवाल घूम रहा है। यह सवाल है कि शरिया कानून के बाद महिलाओं के अधिकार औऱ सुरक्षा का क्या होगा ? तालिबान ने महिलाओं की आजादी के लिए शर्त रखी है कि उन्हें इस्लाम के तहत ही आजादी दी जाएगी। यानि महिलाओं को शरिया कानून (Sharia Law) मानना ही होगा। बीते दिन तालिबानियों ने एक महिला एंकर को स्टूडियो से यह कहकर भगा दिया कि अब सत्ता बदल गई तुम घर जाओ। ऐसे में अब अंदाजा लगाया जा सकता है कि अफगानिस्तान में महिलाओं के साथ क्या दुराचार किया जाएगा।
70 के दशक में जॉब करने की थी आजादी
अफगानिस्तान में महिलाओं को उनके अधिकार 1970 के दशक में ही मिल गए थे। उस समय महिलाओं को बाहर जॉब करने की आजादी थी। वहां की सरकार ने महिलाओं की आजादी के लिए समान अधिकार दिए थे। इतना ही नहीं कुछ महिलाएं विदेशी कपड़े तक पहन सकती थीं। बल्कि कुछ को तो अकेले ट्रैवल करने की भी आजादी थी। पहले की महिलाएं यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में पढ़ने के लिए भी जाया करती थीं।